बंदर मामा धम्म धडाम

बंदर मामा धम्म धडाम
बंदर कूदा डाली–डाली
मारी एक छलांग ,
नीचे से गदहा चिल्लाया
मामा मेरा सलाम।
बंदर मामा ने सलाम को
ज्यों ही हाथ उठाया ,
फिसला पैर , गिरे धरती पर
सीधे धम्म धडाम।

हाथी का पाजामा

हाथी ने अपनी शादी में
पाजामा सिलवाया ,
नाप लिया बंदर मामा ने
उन्हें पसीना आया।
बोले–‘‘इसमें लग जाएंगे
पूरे दो-दो थान।‘‘
हाथी बोला–‘‘एक थान में
मामा जाओ मान।‘‘
बंदर बोला–‘‘नही–नहीं फिर
अंडरवियर सिलाओ
उसे पहनकर धूम–धाम से
ब्याह रचाने जाओ।”

फोन की घण्टी

ट्रिन-ट्रिन ट्रिन-ट्रिन फोन की घण्टी
सुनकर दौड के आया बण्टी
फोन उठा कर बोला हैलो
आओ मेरे संग में खेलो

रंग-बिरंगे खिले हैं फूल

रंग-बिरंगे खिले हैं फूल
सुन्दर से तालाब के कूल
पीले लाल गुलाबी नीले
सुन्दर-सुन्दर रंग रंगीले

रंग-बिरंगी तितली

रंग-बिरंगी तितली आई
नन्हे-मुन्ने के मन भाई
छेड़ के मुन्ने को उड़ जाए
उसको अपने पीछे भगाए

चँदा मामा खिले गगन में

चँदा मामा खिले गगन में
रँग बिरँगे फूल चमन में
टिम-टिमाते नभ में तारे
लगते मुझको प्यारे-प्यारे

कोयल

कुहु-कुहु करके बोले कोयल
मीठे गीत से मोह लेती दिल
बैठे जब अम्बुआ की डाली
कितनी प्यारी कोयल काली

मोर

झूम-झूम के नाचे मोर
जब छाएँ बादल घनघोर
अपने सुन्दर पन्ख फैलाता
देख के उसको आनन्द आता

मेढक

टर-टर टर-टर मेढक बोला
जब उसने अपना मुँह खोला
घिर-घिर गए अम्बर मे बादल
बरसा धरती पर वर्षा जल

गली में आया बन्दर मामा

गली में आया बन्दर मामा
लाला जी का लिया पजामा
उनकी टोपी भी उठाई
पहन के बन्दर ले अँगड़ाई

लाला जी

लाला जी ने केला खाकर
तोंद बढाकर मुँह बिचकाकर
छिलका बीच सड़क के गिराया
फिर लाला ने कदम बढ़ाया
छिलके पर रख दिया कदम
गिर गए बीच सड़क में धम्म

ट्रेन

आओ बच्चो, खेलें खेल
बिन इंजन के चलती रेल
इक दूजे के पीछे आओ
लम्बी पंक्ति एक बनाओ
जगह एक हाथ की छोड़ो
इक दूजे के कंधे पकड़ो
बन जाएगी ऐसे फिर चेन
देखो कितनी प्यारी ट्रेन

बन्दर ,चूहे और बिल्ली

शान से आए बन्दर मामा
ढीला ढाला पहन पजामा
टोपी और कुर्ता भी पहना
बन्दरिया ने पहना गहना
निकले दोनो बींच बजार

मिल गए उनको चूहे चार
हँस कर करने लगे वो बातें
बन्दरिया कीउड़ गई रातें
बन्दर भी मन मे पछताया
क्यों वो बन्दरिया को लाया
गया वो बिल्ली बहन के पास

बोला बहना हूँ उदास
उसको सारी बात बताई
बिल्ली भी गुस्से मे आई
गई वो भाई के संग बजार
खड़े हुए थे चूहे चार

जब तक वो कोई बात समझते
बिल्ली बन्दर उन पर झपटे
उन चारों को मार गिराया
और फिर बड़े मजे से

चूहे आए सौ.

बिल्ली नाटक देख रही थी

चूहे आए सौ

बिल्ली बोली, मिला न चूहा

बीत गए बरसों

बिल्ली कुछ आगे को आई

चूहे टूट पड़े

घाव हुए चेहरे पर उसके

काफी बड़े-बड़े

नाटक देखे बिना वहाँ से

भाग गई बिल्ली

सौ चूहे थे, सबने उसकी

जी भर ली खिल्ली।