बिल्ली नाटक देख रही थी - चूहे आए सौ
बिल्ली बोली, मिला न चूहा - बीत गए बरसों
बिल्ली कुछ आगे को आई - चूहे टूट पड़े
घाव हुए चेहरे पर उसके - काफी बड़े-बड़े
नाटक देखे बिना वहाँ से - भाग गई बिल्ली
सौ चूहे थे, सबने उसकी - जी भर ली खिल्ली।
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