बंदर मामा, पहन पजामा

बंदर मामा, पहन पजामा - निकले थे बाजार
जेब में उनके कुछ थे पैसे - करना था व्यापार
एक दुकान थी बड़ी सजीली - वहाँ बनी थी गर्म जलेबी
मामा का मन कुछ यूँ ललचाया - क्या लेना था याद न आया
गर्म जलेबी खाई झट से - जीभ जल गई फट से, लप से
फेंका कुर्ता फेंकी टोपी - और भागे फिर घर को
दोबारा फिर खाने जलेबी - कभी न गए उधर को।

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