नाव हमारी

जल्दी जल्दी दौडे आओ
रंग बिरंगी कागज़ लाओ
सुन्दर सी एक नाव बनाकर
मिलजुल कर उसको तैराओ.
खूब तेज चलती यह नाव
कभी न थकती अपनी नाव
आगे आगे बढ़ती जाती
पार हमे ले जाती नाव.

4 comments:

श्यामल सुमन said...

पार हमें कर देती नाव।
बीच में आया यहाँ चुनाव।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

bahut hee masum,narayan... narayan... narayan

Anonymous said...

आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं

रचना गौड़ ’भारती’ said...

बच्चोंे ी सुन्दर कवित्ता के लिए बधाई