तैर-तैर मछली इठलाती,
जल की रानी है कहलाती।
पंख सुनहरे नित चमकाती,
बिना काँटा पकड़ी नहीं जाती।
पानी में ही जीवित रहती,
पर भूखों का दुख न सहती।
परहित जीवन सदा लुटाती,
बलिदानी जग में कहलाती।
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