हाथी

सदा झूमता आता हाथी,
सदा झूमता जाता हाथी।
पर्वत जैसी काया इसकी,
भारी भोजन खाता हाथी।
सूंड से भोजन सूंड से पानी,
भर-भर सूंड नहाता हाथी।
छोटी आँखें कान सूप से,
दाँत बड़े दिखलाता हाथी।
राजा रानी शान समझते,
बैठा पीठ घुमाता हाथी।
अपनी पर जो आ जाए तो,
सबको नाच नचाता हाथी।

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