खट्टे-मीठे आम

अब अमराई में आम डोले
फुनगी पर देखो कोयल बोले
भीनी खुशबू फैल गई है
चिड़िया फुदकी हौले-हौले
गुच्छे लटक रहे अब देखो
मिल-जुलकर तुम नजरें फेंको

तोते ने भी चोंच मारी
लगता धरती आँचल खोले
हरे-भरे हैं आम रसीले
खट्टे-मीठे कुछ हैं पीले
लँगड़ा देसी कलमी आम
बिट्टू-किट्टू का मन डोले

पेड़ हमें कितना कुछ देते
बदले में हमसे ना लेते
मीठे आम गटककर हम भी
क्यों न सबसे मीठा बोलें।

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